8वीं वेतन आयोग की घोषणा: 50 लाख कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनर्स के लिए बड़ा बदलाव

8वीं वेतन आयोग की घोषणा: 50 लाख कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनर्स के लिए बड़ा बदलाव
24 नव॰, 2025
द्वारा प्रिया शर्मा | नव॰, 24 2025 | खेल | 0 टिप्पणि

जब गुरुवार को 8वीं केंद्रीय वेतन आयोग की गजट अधिसूचना जारी हुई, तो देश के 50 लाख सरकारी कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनर्स के घरों में एक गहरी सांस ली गई — न तो खुशी की, न ही निराशा की, बल्कि एक ऐसी सांस जो तीन साल के इंतजार के बाद आई थी। यह आयोग जनवरी 2025 में ही मंजूर हो चुका था, लेकिन आधिकारिक अधिसूचना नवंबर 3, 2025 तक आने में लगभग 10 महीने लग गए। यह देरी केवल एक प्रशासनिक गड़बड़ी नहीं है। यह एक ऐसा संकेत है जो लाखों परिवारों के जीवन पर गहरा असर डालेगा।

आयोग की संरचना और अध्यक्ष: रंजना देशाई की नेतृत्व भूमिका

रंजना देशाई, जो अब न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) हैं, इस आयोग की अध्यक्ष बनी हैं। एक आधा-समय सदस्य और एक सदस्य-सचिव के साथ, यह टीम केंद्रीय व्यक्तिगत शिक्षा विभाग के अधीन काम करेगी। रंजना देशाई का नाम न केवल उनके न्यायिक अनुभव के कारण ही चुना गया है, बल्कि उनकी संवैधानिक न्याय के प्रति लगन के कारण भी। उनके पास पेंशन और सेवा शर्तों को लेकर कई बड़े मामलों की सुनवाई करने का अनुभव है — जिससे आयोग के काम को न्यायपालिका की दृष्टि से समझने में मदद मिलेगी।

वेतन वृद्धि का अनुमान: 1.83 से 2.46 तक का फिटमेंट फैक्टर

अभी केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन ₹18,000 प्रति माह है। अगर आयोग 1.83 का फिटमेंट फैक्टर सुझाता है, तो यह ₹32,940 हो जाएगा। अगर 2.46 चुना जाता है, तो यह ₹44,280 तक पहुंच सकता है। यह बदलाव सिर्फ एक संख्या नहीं है — यह एक घर के बच्चों की शिक्षा, एक बूढ़े के दवाओं, एक महिला के बचत खाते का भविष्य बदल सकता है। एंबिट कैपिटल के विश्लेषण के अनुसार, वास्तविक वेतन वृद्धि 14% से 54% तक हो सकती है, लेकिन 54% का अनुमान बहुत अधिक उत्साहवादी है। सरकार के लिए यह एक विशाल बजट बोझ होगा — और वह इसे संभाल पाने के लिए तैयार नहीं हो सकती।

पेंशनर्स का आंदोलन: "हमें भी शामिल करो"

अभी का न्यूनतम पेंशन ₹9,000 है। अगर फिटमेंट फैक्टर 1.83 है, तो यह ₹20,500 हो जाएगा। अगर 2.46 है, तो ₹25,740। यानी एक पेंशनर का आय दोगुना हो सकता है। लेकिन यहां एक बड़ी चिंता है — क्या यह वृद्धि सभी पेंशनर्स के लिए होगी? वर्तमान में, जो लोग 7वीं वेतन आयोग से पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उन्हें अक्सर यह लाभ नहीं मिलता। एक संगठन ने सरकार को एक पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है: "5वीं वेतन आयोग के बाद से जो नीति चली आ रही है, उसे बरकरार रखें।" यह एक सामाजिक न्याय का मुद्दा है। क्या एक आयोग जो वेतन तय करता है, उसे पेंशन को भूलना चाहिए? जवाब नहीं है — लेकिन आवाजें बढ़ रही हैं।

3 साल का इंतजार: क्यों इतना लंबा?

जनवरी 2025 में केबिनेट ने मंजूरी दी। नवंबर 2025 में गजट अधिसूचना। अब आयोग को 18 महीने में रिपोर्ट देनी है — यानी मई 2027 तक। और फिर भी लागू करने की तारीख 1 जनवरी 2026 रखी गई है। यह एक अजीब तर्क है। यानी आयोग अभी शुरू हुआ है, लेकिन उसकी रिपोर्ट का प्रभाव पहले से ही शुरू हो गया है? यह तकनीकी रूप से संभव है, लेकिन इसका अर्थ है कि कर्मचारी अभी से अपनी बचत की योजना बना रहे हैं — बिना किसी आश्वासन के। इस बीच, देश भर में लोग अपने बच्चों के लिए नौकरी के लिए आवेदन कर रहे हैं — और यह जानकर कि वेतन बढ़ेगा, लेकिन तीन साल बाद, वे अपने निर्णय पर दोबारा विचार कर रहे हैं।

नेशनल काउंसिल-जेसीएम की गतिविधियां: आवाजें जुट रही हैं

नेशनल काउंसिल-जेसीएम की गतिविधियां: आवाजें जुट रही हैं

शिव गोपाल मिश्रा, नेशनल काउंसिल-जेसीएम के स्टाफ साइड के प्रतिनिधि, ने 17 नवंबर को एक चक्रव्यूह जारी किया — जिसमें 15 दिसंबर 2025 तक आयोग के लिए सुझाव भेजने का निर्देश दिया गया। उन्होंने सात मुख्य बिंदु बताए: फिटमेंट फैक्टर, सर्वोच्च वेतन, पदोन्नति पर वेतन निर्धारण, MACP, रिपोर्ट की प्रभावी तारीख, विशेष भत्ते, और देनदारी का विस्तार। इसके साथ ही, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक निवेदन भी भेजा है — ओल्ड पेंशन स्कीम वापस लाने के लिए। 26 लाख कर्मचारियों के लिए यह एक बड़ी मांग है। यह सिर्फ पैसे का मुद्दा नहीं, बल्कि एक भावनात्मक आवाज है: "हमने जो वादा सुना था, वह अब भी वैसा ही होना चाहिए।"

डीए और डीआर का भविष्य: एक नया युग शुरू हो रहा है

अगले साल जनवरी तक देश भर में डीए 70% तक पहुंच जाएगा। इसका मतलब है कि जब नया वेतन संरचना लागू होगी, तो डीए को बेसिक पे में शामिल कर दिया जाएगा। यानी एक बार फिर, सरकार एक विशाल भत्ता को स्थायी वेतन में बदल रही है। इसके साथ ही, पेंशनर्स के लिए डीआर (Dearness Relief) को शून्य पर रीसेट कर दिया जाएगा — जिससे कई परिवारों को एक बार फिर आर्थिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। यह एक ऐसा बदलाव है जिसका असर लंबे समय तक रहेगा।

इतिहास का संदर्भ: 6वीं और 7वीं आयोग की तुलना

6वीं वेतन आयोग ने 1.86 फिटमेंट फैक्टर लागू किया था। 7वीं ने उसे बढ़ाकर 2.57 कर दिया। विश्लेषकों का मानना है कि 8वीं आयोग 3.0 तक जा सकता है — यह एक बड़ी छलांग होगी। लेकिन यह छलांग अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा भी है। जब 7वीं आयोग लागू हुआ था, तो आर्थिक वृद्धि 8% के आसपास थी। आज यह 6% से भी कम है। क्या सरकार इतना बड़ा बजट बोझ उठा सकती है? यही सवाल अब देश के आर्थिक निर्णायकों के दिमाग में घूम रहा है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

8वीं वेतन आयोग की रिपोर्ट कब तक आएगी और कब लागू होगी?

आयोग को 18 महीने में रिपोर्ट देनी है, जिसका मतलब मई 2027 तक है। हालांकि, सरकार ने इसकी प्रभावी तारीख 1 जनवरी 2026 रखी है — यानी रिपोर्ट आने से पहले ही इसका प्रभाव लागू हो जाएगा। यह तकनीकी रूप से संभव है, लेकिन वास्तविक वेतन वृद्धि तभी होगी जब रिपोर्ट जारी हो और अधिसूचना जारी की जाए।

पेंशनर्स को भी इसका लाभ मिलेगा?

अभी तक यह स्पष्ट नहीं है। आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस में पेंशन का जिक्र है, लेकिन पूर्व-7वीं सीपीसी के पेंशनर्स को शामिल करने का कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों के समूह इसे एक न्याय का मुद्दा मान रहे हैं और सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि वे इसे अपडेट करें।

डीए और डीआर को बेसिक पे में शामिल करने का क्या मतलब है?

डीए अब एक अलग भत्ता नहीं रहेगा — इसे बेसिक पे में जोड़ दिया जाएगा, जिससे वेतन अधिक स्थिर होगा। लेकिन इसके साथ ही, पेंशनर्स के लिए डीआर शून्य हो जाएगा, जिससे उनकी कुल आय में कमी आ सकती है। यह एक तरह का विनिमय है: स्थिरता के बदले अस्थायी लाभ।

क्या ओल्ड पेंशन स्कीम वापस आएगी?

यह अभी एक मांग है, न कि निर्णय। नेशनल काउंसिल-जेसीएम ने प्रधानमंत्री को इसके लिए अपील की है, लेकिन सरकार ने अभी तक कोई रुख नहीं बताया है। ओल्ड पेंशन स्कीम को वापस लाने का खर्च लगभग ₹1.2 लाख करोड़ होगा — जो बजट के लिए एक बड़ा चुनौती है।

इस वेतन सुधार से राष्ट्रीय बजट पर क्या असर पड़ेगा?

अगर फिटमेंट फैक्टर 3.0 है, तो केंद्रीय बजट में वेतन और पेंशन पर खर्च लगभग 20-25% बढ़ जाएगा। यह बचत, बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य पर खर्च को कम कर सकता है। आर्थिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह वृद्धि अस्थायी नहीं होगी — यह आने वाले दशकों तक बजट को बांध देगी।

क्या यह राज्य सरकारों के लिए भी लागू होगा?

नहीं, यह केवल केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए है। लेकिन अधिकांश राज्य अपने वेतन संरचना को केंद्रीय आयोग के आधार पर अपडेट करते हैं। इसलिए, यह बदलाव राज्यों में भी अप्रत्यक्ष रूप से असर डालेगा — खासकर जहां कर्मचारी राज्य सरकार के लिए काम करते हैं।